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इतिहास

जनपद बरेली प्राचीन इतिहास की धरोहर है | उत्तरी पंचाल की राजधानी अहिछत्र के भव्य भग्नावशेष बरेली की आंवला तहसील के रामनगर नामक गाँव में पाए जाते है | यहाँ गुप्तकालीन सिक्के भी मिले है | पुरातत्वविद यहाँ के इतिहास को दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से ग्यारहवी शताब्दी तक से जोड़ते है | पुरातात्वि इतिहास विभाग, रोहेलखंड  विश्वविध्यालय द्वारा भी अनेको क्षेत्रो जैसे – तिहार खेर, पचौमी, रहटुइया, कादरगंज तथा सेंथल में अनेक पुरातन  टीलो की खोज की गयी है |महाभारत महाकाव्य के अनुसार बरेली क्षेत्र द्रौपदी की जन्मभूमि है | जनश्रुति के अनुसार महात्मा बुद्ध ने भी प्राचीन काल में अहिछत्र क्षेत्र का भ्रमण किया था |

देश की स्वतंत्रता संग्राम में भी बरेली का अतुलनीय योगदान रहा है | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के खिलाफत संघर्ष  में बरेली का विशेष योगदान रहा है | महात्मा गाँधी ने उस समय 2  बार बरेली यात्रा की थी | गांधी जी  के सविनय अवज्ञा आन्दोलन का बरेली में प्रचुर असर देखा गया | आचार्य नरेंद्र देव की अध्यक्षता में कांग्रेस की कई सभाए की गयी | कई गणमान्य नेता यथा जवाहर लाल नेहरु, रफ़ी अहमद किदवई, महावीर त्यागी, मंज़र अली इत्यादि स्वतंत्रता संग्राम में बरेली की जेल में रहे है |