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अग्निशमन सेवा

1925 के पहले उत्तर प्रदेश में म्यूनिसिपल बोर्ड के तहत ‘कवाल’ शहरों में अग्निशमन सेवाएँ थीं। ‘कवाल’ यानी कानपुर, आगरा, वाराणसी, इलाहाबाद और लखनऊ। 1939 की समाप्ति में द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर भारत भर में एक सुसंगठित अग्निशमन सेवाओं की जरूरत बढ़ी। उत्तर प्रदेश के म्यूनिसिपल बोर्ड वाले पाँच ‘कवाल’ शहरों की अग्निशमन सेवाओं को राज्य सरकार ने 26 जुलाई 1944 को अपने अधीन कर लिया और इस तरह उत्तर प्रदेश फायर सर्विसेज की स्थापना हुयी।
1952 तक ये अग्निशमन स्टेशन म्यूनिसिपल बोर्ड क्षेत्र में सेवा देते थे। उत्तर प्रदेश फायर सर्विसेज एक्ट 1944 को 1952 में संशोधित किया गया और अग्निशमन सेवाओं का पूरे राज्य में विस्तार किया गया।
1944 में उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा ने 8 फायर स्टेशनों और 198 अग्निशमन सेवा कर्मियों के साथ काम करना शुरू किया और वर्तमान में इसके पास 61 जिलों में 144 फायर स्टेशन और 5536 अग्निशमन सेवा कर्मी हैं। उत्तर प्रदेश के विभाजन के और उत्तराखंड बनाने के पूर्व उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा के 166 अग्निशमन स्टेशन थे, उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवा वर्तमान में 1082 अग्निशमन मशीनों से लैस है और उत्तर प्रदेश को आग से बचाने के काम में लगी हुयी है। उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवाएँ उत्तर प्रदेश पुलिस के तहत काम कर रही है। उत्तर प्रदेश अग्निशमन सेवाओं का अपना खुद का अग्निशमन सेवा अधिनियम है।
अग्निशमन सेवा बरेली   (PDF, 112 kb)